धर्म-कर्म: वक़्त के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने संदेश में बताया कि, निराश नहीं होना चाहिए। आशा बनाये रखना चाहिए। हिम्मत और हौसले के साथ भजन करना चाहिए। हौसला होता है जैसे सतसंगों में, बड़े कार्यक्रमों में आप आते हो, एक हौसला हिम्मत खुशी रहती है आगे बढ़ने, जाने की, हम वहां जाएंगे, मेल-मिलाप होगा, आध्यात्मिक मेले में पहुंचेंगे, सीखेंगे, उपदेश सुनेंगे, नई चीज सुनने को मिलेगी, अच्छी चीज़ हमको मिल जाए, इसके लिए एक हौसला होता है। हौसले से जब आप आते हो तो पूरा लाभ लेते हो। हिम्मत होनी चाहिए, हिम्मत कभी हारना नहीं चाहिए।

हिम्मत और हौसले के साथ भजन करो तो कामयाबी जरूर मिलेगी:-

जो हिम्मत करके आगे बढ़ता है, कामयाबी उसको मिलती जाती है। हिम्मत होना चाहिए। हिम्मत कभी नहीं हारना चाहिए। समय आने पर पौधों में फूल-फल आता है, ऐसे ही समय आ जाएगा। पौधे को अगर सींचोगे नहीं तो सूख जाएगा। इसी तरह से यह जो नाम का बीज पड़ा हुआ है, नाम दान आपके अंदर गुरु ने डाल दिया है, नाम प्रकट होने के लायक बना दिया है, नाम में सुगंधी लाने के लायक बना दिया है, जिसमें रोशनी सुगंधी है, आवाज जिस नाम में देवी-देवता जिनको भगवान कहते हो, वो जुड़े हुए हैं, वह नाम गुरु से मिल गया। लेकिन ऐसे का ऐसे ही पड़ा रह जाएगा और एक दिन शरीर छूट जाएगा। इसका समय निश्चित है। सांसों की पूंजी जैसे ही खत्म होगी, यह शरीर धड़ाम से गिर जाएगा। जब शरीर छूट जाएगा, जीवात्मा निकल जाएगी तब उस नाम का भी असर खत्म हो जाएगा।

समय का इंतजार करो और नाम रूपी बीज को पानी डालते रहो:-

यह जरूर है की गुरु ने नाम दिया है, अपनाया है, इसलिए मनुष्य शरीर तो (वापस) मिल जाएगा लेकिन 9 महीना मां के पेट में उल्टा लटकना पड़ेगा, मल मूत्र बदबू सूँघनी पड़ेगी, जन्म लेने और मरने की पीड़ा बर्दाश्त करनी पड़ेगी, फिर मनुष्य शरीर मिलेगा। आप जो आज मनुष्य शरीर में लोग दु:ख पा रहे हैं, आप भी कोई न कोई तरह से दुखी हो जाते हो। तो यह सब दु:ख (दुबारा) झेलना पड़ जाएगा। इसलिए उससे बचने के लिए आप समय का करो इंतजार लेकिन घाट पर बैठते रहो। जो नाम रूपी बीज पड़ा हुआ है उस पर पानी डालते रहो। वह पौधा अंकुरित होगा, ऐसी आशा बराबर बनाए रखो, उम्मीद मत खत्म करो, आशा रहे लेकिन ..

आशा और उम्मीद बनाए रखो कर्म करते रहो:-

.. आशा के साथ कर्म करते रहो। कर्म अगर नहीं करोगे तो फल की इच्छा आपकी खत्म हो जाएगी। कुछ समय के बाद फिर निराश होकर कहोगे कि हम फल नहीं पा रहे हैं। जैसे पौधे का फल पाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है इसी तरह से अंदर का फल, सुख, आनंद, अंदर के सुगंधित फल-फूल को पाने-देखने के लिए, देवी-देवताओं के मन-मोहक चेहरा, शरीर देखने, उनकी, प्रभु की आवाज़ सुनने के लिए तो कुछ करना पड़ेगा। अभी तक जो भी आपको नवरात्रि की जानकारी रही है, वह तो रही है लेकिन अब यह जो कुछ दिन बचे हैं, इनमें चलो मेहनत करके सुमरन, ध्यान, भजन जो आपको बताया गया, उसको आप कर लो, विश्वास के साथ करने में लग जाओ।

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