लखनऊ। शाकाहार सदाचार और जीव दया की शिक्षा देने वाले संत सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 26 जून 2021 को अपने आश्रम, उज्जैन से भक्तों को संदेश दिया कि देखो प्रमुख रूप से बुद्धि किससे खराब होती है? शराब से और मांस से। इससे आदमी होश में नहीं रह जाता है। इससे काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार बढ़ता है।

नामदान लेकर ध्यान-भजन करने से काम, क्रोध लोभ, मोह, अहंकार- पांचों भूत पड़ जायेंगे ढीले
जो मैं बताऊंगा वो नाम को जपोगे, सुमिरन करोगे, ध्यान-भजन करोगे तो यह बढ़ेंगे नहीं बल्कि और ढीले पड़ जाएंगे। खत्म तो नहीं होगा क्योंकि सृष्टि चलाने का, सृष्टि की रचना, विस्तार इसी पर निर्भर है, लेकिन यह ढीले पड़े रहेंगे। जैसे ऑपरेशन से पहले क्लोरोफॉर्म सुंघाते हैं। बड़े ऑपरेशन के लिए भारी डोज देते हैं। ऐसे ही नाम रूपी जड़ी जब सुंघाने लगोगे तब काम क्रोध लोभ मोह अहंकार यह पांच भूत जो आपके अंदर बसे हुए हैं, यह सब ढीले पड़ जाएंगे।

मछली खाने के लिए नहीं बल्कि तालाब की सफाई के लिए बनाई गई
तो कहने का मतलब यह है कि मांस मत खाना। मांस खाने से बुद्धि खराब हो जाती है, खून खराब हो जाता है, तरह-तरह की बीमारियां आ जाती हैं। मछली मत खाना। मछली तालाब की सफाई के लिए बनाई गई। देखो कोई भी गंदी चीज आप तालाब में डाल दो तो मछली खा जाती है। चाहे गाय आदमी मुर्गा भैंसा टट्टी- कुछ भी नदी-तालाब में बहकर के आ जाए तो मछली उसको खाएगी। मछली का काम यह है कि साफ-सुथरा पानी को रखना। अब आप समझो मछली जब मर जाती है तो गिद्ध और कौवा खाते हैं। तो गिद्ध और कौवा का खाना जब आदमी खाएगा, चाहे जान में खाओ, चाहे अनजान में खाए तब आदमी जैसी बुद्धि नहीं रहेगी।

मुर्गियों का खराब खून, टट्टी-पेशाब का हिस्सा इकट्ठा होकर बनता है अंडा
इसलिए मांस मछली अंडा मत खाना। मुर्गियों का खराब खून, उनके टट्टी पेशाब का ख़राब हिस्सा जब इकट्ठा हो जाता है तो अंडा बन जाता है। तो अंडा मत खाना, शराब मत पीना और शराब जैसा नशा किसी भी चीज का हो या गोलियां जो चल गई, गांजा अफीम हो या जमीन से पैदा होने वाली चाहे चीजें हो जिनको आदमी बना ले- उनका सेवन नहीं करना चाहिए।https://gknewslive.com

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