लखनऊ। जैसा कि आप सभी को पता है हर वर्ष पितृ पक्ष आता है जिसमे सभी लोग श्राद के द्वारा पितरो का ऋण उतारते हैं। श्राद के दिनों में पितरो को जो कुछ भी अपनी श्रदानुसार अर्पित करते है उन्हें वे स्वीकार कर प्रसन्न होते है। ग्रंथो में भी बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति का विधि पूर्वक तर्पण और श्राद न किया जाये तो वो भूत बनकर संसार में भटकता रहता है क्योंकि उस व्यक्ति को मुक्ति नही मिलती है। शास्त्रों में ये भी बताया गया है यदि पितृ प्रसन्न हो तो भगवान भी हमसे खुश रहते है और भगवान और पितरो का आशीर्वाद सदा साथ रहता हैं। यदि किसी के पितृ अप्रसन्न हो तो उन्हें पितृ दोष लगता है और उनके कोई कार्य नही बनते हर कार्य में कोई न कोई बाधा आती हैं। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।इस दौरान कोई वाहन या नया सामान न खरीदें।इसके अलावा, मांसाहारी भोजन का सेवन बिलकुल न करें। श्राद्ध कर्म के दौरान आप जनेऊ पहनते हैं तो पिंडदान के दौरान उसे बाएं की जगह दाएं कंधे पर रखें। श्राद्ध कर्मकांड करने वाले व्यक्ति को अपने नाखून नहीं काटने चाहिए। इसके अलावा उसे दाढ़ी या बाल भी नहीं कटवाने चाहिए।तंबाकू, धूम्रपान सिगरेट या शराब का सेवन न करें।
इस तरह के बुरे व्यवहार में लिप्त न हों। यह श्राद्ध कर्म करने के फलदायक परिणाम को बाधित करता है। यदि संभव हो, तो सभी 16 दिनों के लिए घर में चप्पल न पहनें।ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के पखवाड़े में पितृ किसी भी रूप में आपके घर में आते हैं। इसलिए, इस पखवाड़े में, किसी भी पशु या इंसान का अनादर नहीं किया जाना चाहिए। बल्कि, आपके दरवाजे पर आने वाले किसी भी प्राणी को भोजन दिया जाना चाहिए और आदर सत्कार करना चाहिए।पितृ पक्ष में श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का सख्ती से पालन करना चाहिए। पितृ पक्ष में कुछ चीजों को खाना मना है, जैसे- चना, दाल, जीरा, काला नमक, लौकी और खीरा, सरसों का साग आदि नहीं खाना चाहिए।
अनुष्ठान के लिए लोहे के बर्तन का उपयोग न करें। इसके बजाय अपने पूर्वजों को खुश करने के लिए सोने, चांदी, तांबे या पीतल के बर्तन का उपयोग करें।यदि किसी विशेष स्थान पर श्राद्ध कर्म किया जाता है तो यह विशेष फल देता है। कहा जाता है कि गया, प्रयाग, बद्रीनाथ में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। जो किसी भी कारण से इन पवित्र तीर्थों पर श्राद्ध कर्म नहीं कर सकते हैं वे अपने घर के आंगन में किसी भी पवित्र स्थान पर तर्पण और पिंड दान कर सकते हैं।श्राद्ध कर्म के लिए काले तिल का उपयोग करना चाहिए। पिंडदान करते वक्त तुलसी जरूर रखें।श्राद्ध कर्म शाम, रात, सुबह या अंधेरे के दौरान नहीं किया जाना चाहिए। पितृ पक्ष में, गायों, कुत्तों, चींटियों और ब्राह्मणों को यथासंभव भोजन कराना चाहिए।इस प्रकार विधि विधान से श्राद्ध पूजा कर जातक पितृ ऋण से मुक्ति पा लेता है व श्राद्ध पक्ष में किये गये उनके श्राद्ध से पितर प्रसन्न होते हैं व आपके घर परिवार व जीवन में सुख, समृद्धि होने का आशीर्वाद देते हैं।