लखनऊ। यूपी में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और सपा में आखिर तक कांटे की टक्कर देखने को मिली, लेकिन नतीजा भाजपा के पक्ष में आया। उत्तर प्रदेश में भाजपा ने दोबारा चुनाव जीत कर 37 के पहले के इतिहास को दोहराया और यूपी में फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। अब सवाल ये उठता है, कि समाजवादी पार्टी की इतनी तमाम कोशिशों के बाद भी 2022 में सत्ता में करिश्मा दिखाने में असफल रही।

बता दें 2017 में भाजपा गठबंधन 325 सीटें जीतकर यूपी की सत्ता में काबिज हुआ। तब समाजवादी पार्टी के गढ़ ”यादव बेल्ट” की 35 में से भाजपा ने 29 सीटें जीती थीं। सपा को सिर्फ 6 सीटें हासिल हुई थीं। इस बार भाजपा को इस क्षेत्र में 6 सीटों का नुकसान हुआ, फिर 23 सीटें जीतकर यह सुनिश्चित किया कि ”यादव बेल्ट” उसके हाथ से फिसलने न पाए। समाजवादी पार्टी ने 12 सीटें जीतीं। अखिलेश 2022 में इसीलिए मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ने पहुंचे थे कि ”यादव बेल्ट” में सपा की वापसी करा सकें। जोकि अखिलेश यादव करहल से चुनाव जीतने में सफल भी रहे। लेकिन इस बीच खबर है कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव अपनी आजमगढ़ की सांसदी बरकरार रखते हुए करहल विधानसभा सीट त्याग देंगे।

चुनाव हारने का मुख्य कारण
ये बात किसी से छुपी नहीं है कि अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल के बीच तनातनी बनी थी, जिसकी वजह से राजनीती क्षेत्र में सपा को अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ा था। अखिलेश को यह उम्मीद थी कि चाचा के आ जाने से ”यादव बेल्ट” में सपा मजबूत होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उसके बाद सोने पे सुहागा वाली बात ये हो गई कि चाचा शिवपाल ने अखिलेश से 35 सीटों की मांग की थी, लेकिन भतीजे ने उनको सिर्फ 1 जसवंतनगर सीट ही दी।

 

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