दिल्ली। तीन नये क़ृषि कानूनो के खिलाफ किसान आंदोलन को 15 दिन बीत चुके हैं। सरकार से बातचीत का कोई रिजल्ट निकलता न देख जहां किसान संगठन अपने आंदोलन को और तेज करने का ऐलान किया है। वहीं सरकार अन्नदाताओं से अपील करने जा रही है कि वह नए कानूनों को क्यों रिप्लेस करने के बजाय उसमें संशोधन करने जा रही है? सूत्रों के अनुसार, सरकार अपनी अपील में साफ तौर पर बताएगी कि कानूनी प्रावधानों को सरकार क्यों कमतर करने जा रही है? साथ ही यह भी बताएगी कि वह विवादास्पद कानूनों में संशोधन क्यों ला रही है? जिसे किसान निरस्त करना चाहते हैं।
किसान संगठनों ने बुधवार को कृषि कानूनों में संशोधन के केंद्र सरकार के लिखित प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और अपने आंदोलन व विरोध-प्रदर्शन को और बढ़ाने के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया। आंदोलनरत 13 किसान संगठनों को भेजे गए प्रस्ताव में केंद्र ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए लिखित आश्वासन देने का वादा किया था। इसके अलावा किसानों को उप-विभागीय मजिस्ट्रेट के बजाय विवादों के हल के लिए कोर्ट जाने और बिजली संशोधन बिल को रद्द करने की अनुमति देने का भी प्रस्ताव दिया था। जिसका किसान विरोध कर रहे थे।
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बता दें कि सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए कानूनों में संशोधन करने की पेशकश भी की थी। बड़े कॉरपोरेट खेत पर कब्जा कर लेंगे। इन आशंकाओं के खिलाफ सरकार ने स्पष्ट किया था कि कोई भी खरीदार खेत के खिलाफ ऋण नहीं ले सकता है और न ही किसानों को ऐसी कोई शर्त दी जाएगी।
इधर, किसानों ने 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर हाई-वे बंद करने, रिलायंस मॉल का बहिष्कार करने और सभी टोल प्लाजा पर कब्जा करने का ऐलान किया है। किसान संगठनों ने कहा है कि 14 दिसंबर से उनका आदोलन देशव्यापी होगा और उग्र पैमाने पर होगा। बता दें कि पुलिस द्वारा ठंड में किसानों पर वाटर कैनन से बौछार करने, आंसू गैस के गोले दागने और बेरिकेडिंग के बावजूद हजारों किसान पिछले दो हफ्ते से बिना रुके आंदोलन कर रहे हैं और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस आंदोलन में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है।