यूपी: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबराय पर कार्यवाही की मांग की है | बता दें कि पीएम के आर्थिक सलाहकार ने एक लेख लिखा जिसमे उन्होंने स्पष्ट किया कि कि हमारा मौजूदा संविधान काफी हद तक 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है | उनके लेख के बाद जेडीयू और आरजेडी के हमला बोलने के बाद बसपा सुप्रीमो ने भी हमला बोला है | मायावती ने ट्वीट कर कहा कि आर्थिक सलाहकार परिषद् के चेयरमैन बिबेक देबरॉय द्वारा अपने लेख में देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है | जिसका केंद्र सरकार को तुरंत संज्ञान लेकर जरूर कार्यवाही करनी चाहिए, ताकि आगे ऐसी कोई अनर्गल बात करने का दुस्साहस न कर सके |

वहीँ, मायावती ने दूसरे ट्वीट में कहा कि देश का संविधान इसकी 140 करोड़ की गरीब, पिछड़ी व उपेक्षित जनता के लिए मानवतावादी एवं समतामूलक होने की गारंटी है | जो स्वार्थी, संकीर्ण, जातिवादी तत्वों को पसंद नहीं और वे इनको जनविरोधी व धन्नासेठ- समर्थ के रूप में बदलने की बात करते है | जिसका विरोध करना सबकी जिम्मेदारी है |

जानें क्या है बिबेक देबराय के लेख में…

बता दें प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबराय ने अपने लेख में लिखा है कि हमारा मौजूदा संविधान काफी हद तक 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है | 2002 में संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित एक आयोग द्वारा एक रिपोर्ट आई थी, लेकिन यह आधा-अधूरा प्रयास था | कानून में सुधार के कई पहलुओं की तरह यहां और दूसरे बदलाव से काम नहीं चलेगा |

यह भी कहा है कि हमें पहले सिद्धांतों से शुरुआत करनी चाहिए जैसा कि संविधान सभा की बहस में हुई थी | 2047 के लिए भारत को किस संविधान की जरूरत है? कुछ संशोधनों से काम नहीं चलेगा | हमें ड्रॉइंग बोर्ड पर वापस जाना चाहिए और पहले सिद्धांतों से शुरू करना चाहिए, यह पूछना चाहिए कि प्रस्तावना में इन शब्दों का अब क्या मतलब है | समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, न्याय, स्वतंत्रता और समानता हम लोगों को खुद को एक नया संविधान देना होगा |

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