धर्म कर्म: निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जीते जी मुक्ति-मोक्ष पाने का मार्ग नामदान देने के अधिकारी, अपने सतसंग जल से कर्मों की मैल को धोने वाले, साधना में तरक्की देने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि शरीर के अंगों से जान-अनजान में बने कर्मों की सफाई के लिए सुमिरन, ध्यान और भजन जरुरी है और यह चीज करना न भूले उसके लिए सतसंग सुनना जरूरी है। सतसंग, सेवा और भजन- यह तीन चीज याद रखना चाहिए। इसको नहीं भूलना चाहिए। जिस तरह से लैटिन जाना, खाना खाना, आराम करना नहीं भूलते हो, बाहर जाते हो तब अपना घर, अपने बाल-बच्चों को, अपनी रोजी-रोटी को नहीं भूलते हो, उसी तरह से इसको मत भूलो। तीनों चीजें बराबर याद रखो कि सतसंग भी सुनना है जिससे जानकारी कुछ मिलेगी, मैलाई कटेगी, गंदगी साफ होगी, वह भी जरूरी है और ध्यान, भजन भी जरूरी है। यदि ध्यान-भजन में मन न लगे तो उसका जो विकल्प खोज दिया गया, बना दिया गया कि सेवा करो तो सेवा भी जरूरी है। तो जो जैसा हो, वैसा करना चाहिए। जहां जैसी समय परिस्थिति हो, जिस हिसाब से हो। यह नहीं भूलना चाहिए। गृहस्थ आश्रम में रहते हुए, जो गृहस्थ आश्रम का धर्म है, उसका भी पालन कर लेना चाहिए। कमाने का इंतजाम कर लेना, चाहे शरीर को चलाने के लिए, बच्चों की परवरिश के लिए, कमाई भी कर लेना चाहिए। खेती, दुकान, दफतर भी कर लो लेकिन उसमें फंसो नहीं। उसी को लक्ष्य मत बना लो कि हमको यही करना है। उसके साथ यह भी जोड़ो। जब जोड़ोगे तीन चीजों को, जब सतसंग सुनने, सेवा, भजन ध्यान करने के लिए समय निकालोगे तो इसके लिए भी समय निकल आएगा।

सतसंग में अपने साथ नए लोगों को नामदान दिलाने के लिए जरूर लाओ

नए लोग आते हैं। अब तो लोगों ने यही लक्ष्य बना लिया है और सब लोगों को भी यही लक्ष्य बनाना चाहिए कि जब भी सतसंग में जाए तो अपने साथ नामदान दिलाने के लिए एक-दो लोगों को जरूर ले जाए। उन्हें समझाते हुए लावें। पहले से ही समझा ले और फिर यहां नाम दान सुनवाने के बाद फिर समझावे, सुमरिन, ध्यान, भजन उनको सिखाए, अपने साथ बैठक करावे, सतसंग में लावे, जब खुद जाए तो सेवा में उनको भी ले जाए तो उससे उनका भी पर्दा हटेगा, उनके भी विकार दूर होंगे, उनका भी मन जो इधर-उधर भटक रहा है, सुख-शांति नहीं पा रहा, उनका भी मन इधर मुड़ेगा और जब मन को शांति मिलेगी तो उनका भी काम बनेगा। भजन ध्यान करके अपनी आत्मा का कल्याण कर लेंगे। तो ऐसा लक्ष्य सबको बनाना चाहिए।

अच्छे लोगों को क्या लक्ष्य बनाना चाहिए

जितने भी शाकाहारी नशा मुक्त हैं, अच्छे लोग जिनको कहा जाता है, उनको सबको यह लक्ष्य बनाना चाहिए कि हमको नामदान लेकर के अपना (आत्म कल्याण का) काम बनाना है। उस नाम के जहाज पर बैठ जाना है जिससे हम पार हो जाएँ। नाव के डूबने का तो डर रहता है लेकिन जहाज पर जब बैठ जाता है तो जहाज भारी, बड़ा होता है, उसके डूबने का अंदेशा कम रहता है। ऐसे यह नाम जहाज है। यह पूजा-पाठ, अन्य कर्म नाव की तरह से और यह नाम की कमाई जहाज की तरह से। यह तो भव सागर को पार करता ही करता है। तो नाम के जहाज पर बैठ जाए और लोगों को भी बैठा दें कि जिससे वो भी भवसागर से पार हो जाए, यह लक्ष्य बनाना चाहिए।

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