UP: महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में होगा। इस दौरान 27 जनवरी को संगम तट पर धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा। इसी मौके पर प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन बोर्ड की मांग को एक बार फिर जोर-शोर से उठाया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए उन्होंने सनातन धर्म के संरक्षण और मंदिरों की स्वतंत्रता के लिए सनातन बोर्ड की आवश्यकता को रेखांकित किया।
सनातन धर्म की रक्षा के लिए बोर्ड की जरूरत:-
देवकीनंदन ठाकुर का कहना है कि देश के मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण नहीं होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सनातन बोर्ड समय की आवश्यकता है। उनका मानना है कि बोर्ड के माध्यम से हिंदू धर्म के विचारों और परंपराओं की रक्षा की जा सकेगी। 27 जनवरी को होने वाली धर्म संसद में सनातन बोर्ड का मुद्दा प्राथमिकता से उठाया जाएगा। इस आयोजन का उद्देश्य हिंदुओं की आवाज को बुलंद करना और सनातन धर्म के लिए ठोस कदम उठाना है।
सनातन परंपराओं को पुनर्जीवित करने का तर्क:-
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि सरकारी अधिकारी मंदिरों की व्यवस्था सही तरीके से नहीं चला सकते। उन्होंने गुरुकुल परंपरा को पुनर्जीवित करने और धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए सनातन बोर्ड के गठन की आवश्यकता बताई। उनका दावा है कि सनातन बोर्ड के माध्यम से धर्म परिवर्तन जैसी समस्याओं को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि घटती हुई हिंदू आबादी भारत के लिए खतरा है, और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
पुराने मामलों का संदर्भ:-
देवकीनंदन ठाकुर ने तिरुपति मंदिर के प्रसाद में कथित चर्बी मिलने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सनातन बोर्ड का गठन जरूरी है। उन्होंने अपने पोस्ट में सनातन धर्म के अनुयायियों से 27 जनवरी 2025 को महाकुंभ, प्रयागराज में संगम तट पर आयोजित धर्म संसद में शामिल होने का आग्रह किया है।