Akhilesh Yadav on Mahakumbh: प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना ने पूरे देश को गहरे सदमे में डाल दिया। इस हादसे में कई तीर्थयात्री अपनी जान गंवा बैठे, और कई अन्य घायल हो गए। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है और इसके लिए उत्तरदायी सरकार से कई सवाल पूछे हैं।
अखिलेश यादव ने कहा, “महाकुंभ जैसी धार्मिक और सांस्कृतिक घटना में इस तरह की भगदड़ एक बड़ी प्रशासनिक विफलता का संकेत है। अगर सरकार ने पहले से बेहतर इंतजाम किए होते, तो शायद यह हादसा न होता।” उनका आरोप है कि महाकुंभ के लिए न तो उचित सुरक्षा प्रबंध किए गए थे और न ही श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त व्यवस्था थी, जबकि इस बड़े आयोजन का जबरदस्त प्रचार किया गया था।
महाकुंभ में जिन लोगों के अपने बिछड़ गये हैं, सूचना के अभाव में उनके अंदर ये आशंका जन्म ले रही है कि कहीं उन्होंने अपने परिवार, परिजनों को हमेशा के लिए तो नहीं खो दिया है। इस आशंका को दूर करने के लिए एक सरल उपाय ये है कि सरकार महाकुंभ हादसे में जीवन गँवानेवालों की सूची जारी कर दे।… pic.twitter.com/Yc9gXF6hve
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 30, 2025
सपा सुप्रीमो ने इस दुखद घटना को लेकर सरकार से एक विशेष मांग की है। उन्होंने कहा, “सरकार को उन लोगों की सूची जारी करनी चाहिए जिन्होंने अपनी जान गंवाई। इससे परिवारजनों की चिंताएं दूर हो सकती हैं, और पीड़ितों के लिए थोड़ा आराम मिलेगा।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि मृतकों की पहचान नहीं हो पाई है, तो उनके वस्त्रों और अन्य पहचान चिह्नों के जरिए उनका सही पता लगाया जा सकता है।
इस बयान में अखिलेश यादव ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने महाकुंभ के लिए कभी भी कार्ड नहीं बांटे, लेकिन इस बार ऐसा किया गया, जिससे व्यवस्था की गंभीरता पर सवाल उठते हैं। उनका कहना था कि महाकुंभ का प्रचार तो बड़े पैमाने पर किया गया, लेकिन इसके साथ ही उन इंतजामों की व्यवस्था नहीं की गई जो एक ऐसी विशाल घटना में जरूरी थे।
सपा अध्यक्ष ने पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजे का भी मुद्दा उठाया। उनके अनुसार, 25 लाख रुपये का मुआवजा बहुत कम है, और पीड़ितों और उनके परिवारों को इससे अधिक मदद की आवश्यकता है। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर भी इस घटना के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। उन्होंने एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “महाकुंभ में जो लोग अपने प्रियजनों से बिछड़ गए हैं, उन्हें सूचना के अभाव में यह आशंका हो रही है कि कहीं उन्होंने उन्हें हमेशा के लिए खो तो नहीं दिया।”