Stock Market Crash: फरवरी के आखिरी कारोबारी दिन, शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में जोरदार गिरावट देखने को मिली। सुबह के शुरुआती कारोबार में ही निफ्टी 50 और सेंसेक्स में भारी बिकवाली हुई, जिससे बाजार बुरी तरह लड़खड़ा गया।

निफ्टी और सेंसेक्स में बड़ी गिरावट:-
निफ्टी 50: 22,433 के स्तर से शुरुआत की और 22,120 के इंट्राडे लो को छूते हुए 400 अंकों से अधिक गिरा।
सेंसेक्स: 74,201 के स्तर से खुलकर 73,173 के इंट्राडे लो तक गिरा, जिससे 1,400 अंकों से ज्यादा की गिरावट आई।
बैंक निफ्टी: 48,437 के स्तर से खुला और 48,078 के निचले स्तर को छूते हुए 1.30% तक फिसल गया।

स्मॉल-कैप और मिड-कैप शेयरों में भी गिरावट:-
बीएसई स्मॉल-कैप इंडेक्स: 3.40% की गिरावट।
बीएसई मिड-कैप इंडेक्स: 3% की गिरावट।

पतंजलि फूड्स, ग्रेन्यूल्स इंडिया, आदित्य बिड़ला रियल एस्टेट, दीपक फर्टिलाइजर्स और रेडिंगटन जैसे शेयर टॉप लूजर्स में रहे। दूसरी ओर, केईआई इंडस्ट्रीज, स्टार हेल्थ, पॉलीकैब इंडिया, आईईएक्स, आरआर केबल और कोल इंडिया में अच्छी खरीदारी देखने को मिली।

शेयर बाजार क्रैश होने की 3 बड़ी वजहें।।
1. जीडीपी डेटा को लेकर अनिश्चितता:-
शुक्रवार शाम को दिसंबर तिमाही के GDP आंकड़े जारी होने हैं। निवेशकों को उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से रफ्तार पकड़ सकती है, लेकिन आर्थिक विकास की सुस्ती, कमजोर कमाई और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते बाजार में दबाव बढ़ गया।

2. विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली:-
NSDL के मुताबिक, 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयरों में 1,13,721 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। सिर्फ फरवरी में ही 47,349 करोड़ रुपये की बिकवाली हुई, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 52,544 करोड़ रुपये की खरीदारी की।

3. आईटी सेक्टर पर दबाव:-
एशियाई बाजारों में भी गिरावट रही, जहां MSCI एशिया एक्स-जापान इंडेक्स 1.21% गिरा।
वॉल स्ट्रीट पर एनविडिया के कमजोर नतीजों के बाद एआई स्टॉक्स में भारी बिकवाली हुई।
निफ्टी आईटी इंडेक्स 3.2% गिरा, जिसमें पर्सिस्टेंट सिस्टम्स, टेक महिंद्रा और एम्फैसिस के शेयर 4.5% तक लुढ़क गए।

अन्य वैश्विक कारण भी जिम्मेदार:-

  • अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया, जो 4 मार्च से लागू होगा।
  • चीन से आने वाले उत्पादों पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया, जिससे वैश्विक बाजारों पर नकारात्मक असर पड़ा।
  • यूरोपीय संघ से आने वाले उत्पादों पर भी 25% टैरिफ की बात दोहराई गई, जिससे निवेशकों की चिंता और बढ़ गई।
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