लखनऊ: मंगलवार को होने वाली नगर निगम सदन की बैठक से पहले सोमवार को महापौर के सरकारी आवास पर भाजपा पार्षद दल की बैठक बुलाई गई। बैठक का उद्देश्य था कि बजट पास करने के दौरान सदन में कोई विवाद न हो। लेकिन इससे पहले ही दो पार्षदों के बीच बहस हो गई।

इस बैठक में मनकामेश्वर वार्ड से भाजपा पार्षद रंजीत यादव और पूर्व पार्षद हरीश अवस्थी के बीच तीखी कहासुनी हो गई। बात इतनी बढ़ गई कि एक-दूसरे को बाहर चलने की चुनौती तक दे दी गई। हालांकि, रंजीत यादव ने बाद में कहा कि उन्होंने “बाहर निकलो, देखते हैं” जैसी कोई बात नहीं कही। बैठक में पार्षदों ने आरोप लगाया कि 24 मार्च को कार्यकारिणी में पार्षद कोटे पर कोई बंदिश नहीं थी, लेकिन बाद में कार्यवाही रिपोर्ट में बदलाव कर दिया गया। अब पार्षद को केवल तय मदों पर ही खर्च करने की बाध्यता है, जिसे गलत बताया गया और शर्तें हटाने की मांग की गई। पूर्व पार्षद हरीश अवस्थी ने कहा कि रंजीत यादव को अभी “दुनिया देखनी बाकी है”, जबकि रंजीत ने हरीश पर व्यक्तिगत टिप्पणी का आरोप लगाया। बैठक में कोई विशेष सहमति नहीं बन सकी और पार्षदों के बीच मतभेद स्पष्ट नजर आए।

पार्षद कोटे का ब्योरा (2.10 करोड़ रुपये प्रति पार्षद):

सड़क, नाली, फुटपाथ निर्माण: ₹1.60 करोड़

पैचवर्क (सड़क-गलियां): ₹10 लाख

पुलिया निर्माण/मरम्मत: ₹10 लाख

स्ट्रीट लाइट व्यवस्था: ₹10 लाख

पार्कों की मरम्मत/पेंटिंग: ₹10 लाख

कीटनाशक, फॉगिंग आदि: ₹5 लाख

शव रखने वाले कॉफिन: ₹5 लाख

महापौर सुषमा खर्कवाल का बयान:
“पार्षद सिर्फ सड़क और नाली पर ही क्यों पूरा बजट खर्च करना चाहते हैं? शहर में पार्क, लाइटिंग और फॉगिंग जैसे कार्य भी जरूरी हैं। जिन वार्डों में पार्क नहीं हैं, वहां इस दिशा में कार्य होना चाहिए। कोटे की धनराशि का उपयोग निर्धारित कार्यों में ही किया जाना चाहिए।” भाजपा नगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी ने भी सफाई देते हुए कहा की, कोई झगड़ा नहीं हुआ, सभी पार्षद एक परिवार की तरह हैं। कभी-कभी आवाज ऊंची हो जाती है, इसका मतलब यह नहीं कि कोई बड़ा विवाद है।

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