लखनऊ। राजधानी लखनऊ स्थित केजीएमयू में मृतक आश्रित कोटे से डॉक्टरों और कर्मचारियों की भर्ती में धांधली के कई मामले उजागर हो चुके हैं। इसमें से कुछ पर ही कार्रवाई हुई, अधिकतर मामलों में जांच ठंडे बस्ते में चली गई। जब मामला कोर्ट तक पहुंचा तो संस्थान प्रशासन ने ऐसे मामलों में कार्रवाई करना शुरू किया। बिना नियमावली के पालन के मृतक आश्रित कोटे से नौकरी लेने के मामले में केजीएमयू प्रशासन ने दो मामलों में कार्रवाई की है। इनमें से 19 जून को मृतक आश्रित कोटे में तथ्य छिपाकर नौकरी करने वाले एक कर्मी को टर्मिनेट किया है। इसके चौथे दिन 22 जून को केजीएमयू प्रशासन ने एक और कर्मचारी की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया है। मृतक आश्रित कोटे में एक प्रधान लिपिक समेत नौ कर्मियों पर कार्रवाई की तलवार लटकी है।केजीएमयू में सिर्फ मृतक आश्रित कोटे से हुई भर्ती में धांधली नहीं हुई बल्कि समूह ‘ग’ की भर्ती में भी भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगाए गए हैं। शासन से केजीएमयू में हुई समूह ‘ग’ की भर्ती में हुए भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत की गई है।

एक कर्मी सेवाकाल के 13वें साल किया गया बर्खास्त
जानकारी के मुताबिक, मृतक आश्रित कोटे के पहले मामले में केजीएमयू प्रशासन ने सुमित कुमार वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की है। सुमित कुमार केजीएमयू में वाटर कैरियर पद पर तैनात थे। उन्होंने मृतक आश्रित कोटे में 2007 में आवेदन किया था और वर्ष 2008 में उन्हें तैनाती मिली थी। कुलसचिव आशुतोष कुमार ने 19 जून को कर्मी सुमित कुमार वर्मा के टर्मिनेशन के आदेश जारी किए। टर्मिनेशन के आदेश में जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, सुमित की मां बालरोग विभाग में सेवारत थीं। सुमित ने यह तथ्य छिपाकर मृतक आश्रित की अनुकम्पा के आधार पर नौकरी हासिल की, जो कि गलत है।

यह भी पढ़ें: धर्मांतरण के दबाव में पलायन को मजबूर 10 हिंदू परिवार, सपा MLA पर भी लगाया आरोप

16 साल बाद किया बर्खास्त
वहीं दूसरे मामले में 22 जून को बर्खास्त की गई सफाई कर्मचारी कुमारी काले की तैनाती 2005 में उनकी मां की मृत्यु के बाद हुई थी। कुमारी काले की मां केजीएमयू में ही नौकरी कर रही थी। इतना ही नहीं उनके पिता भी केजीएमयू में ही नौकरी कर रहे थे। कुमारी काले ने पिता के केजीएमयू में नौकरी करने के तथ्य को छिपाते हुए माता के निधन के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी ज्वॉइन कर ली। ऐसे में जांच में उनकी नियुक्ति को अवैध माना गया और नौकरी ज्वाइन करने के 16 साल बाद बर्खास्त कर दिया गया। 22 जून 2021 को केजीएमयू कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने सफाई कर्मचारी कुमारी काले की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया।https://gknewslive.com

 

 

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *