धर्म कर्म: उज्जैन वाले परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि महात्माओं ऋषि मुनियों ने नवरात्रि में उपवास का नियम बना दिया। व्रत रहना चाहिए। पेट साफ करने के लिए, मशीन को थोड़ा आराम देने के लिए उपवास किया जाता है। संकल्प बनाना कि हमने व्रत ले लिया है। अब इसको हमको पूरा करना ही करना है। इस 9 दिन के समय में तत्वों की तबदीली होती है। मौसम जब बदलता है तो ये तत्व भी बदलते हैं। ऐसे समय में पेट को साफ रखा जाता है।

नींबू पानी से होती है पेट की सबसे बढिया सफाई

अगर तबीयत खराब रहती हो तो नींबू पानी लगातार लो। जब दवा न थी तब रोग तकलीफ न आवे इसके लिए लोग साल में दो बार आने वाली नवरात्रा करते, नींबू पानी पीते थे, जिससे बदन बिल्कुल हल्का हो जाता था। नियम पालन से बहुतों का घुटने का दर्द, ब्लड प्रेशर शुगर आदि सही हो गया। यदि आपका शरीर बहुत कमजोर है, बहुत बुड्ढे हो, चल फिर नहीं सकते हो, दवा खानी पड़ती है, अंग्रेजी दवा खाते हो, (व्रत) हो नहीं सकता हो उनकी बात तो अलग है लेकिन जिनके शरीर में बल है, चल फिर लेते हो, हल्की-फुल्की तकलीफ जैसे पेट खराब, जुखाम आदि आ जाती है, उसको दूर करने के लिए उपवास करना ही चाहिए। आँतड़ियों में मल जमा हो जाता है। टेढ़ी-मेढ़ी है। कुछ भी खाओ और दवा भी खाओ तो वो सीधे मल को निकालता ही रहता है लेकिन उनको (जमी चिकनाई) नहीं निकाल पाता इसलिए पेट को खाली होना चाहिए। नींबू खारा होता है। उसकी सफाई तो ठीक तरह से तभी होगी जब पेट खाली रहेगा।

यदि पूरा व्रत सही से न हो पाए तो गुंजाइश

जिसका नहीं चलता है जो दोनों टाइम भोजन खाते हो, खाने के लिए जीते हो, उसको कम कर दो। एक चीज, उबला हुआ थोड़ा- आलू लौकी तरोई आदि जल्दी हजम होने वाली चीज को खालो, पेट को थोड़ा खाली रखो। अब भी मन नहीं मानता है तो हल्की खिचड़ी दलिया एक टाइम खालो। इससे हो जाएगी सफाई। जब पेट हल्का होता है तो चाहे जो भी काम हो उसमें मन लगता है चाहे मजदूरी नौकरी व्यापार खेती भजन में मन लगता है। गुरु महाराज कहते थे कि रात को भजन में नींद आलस्य न आवे, एक रोटी का भूख रखकर के खाओ। गुरु महाराज जी ने तो बहुत छूट दिया। पहले के महात्माओं ने कहा एक टाइम खाओ। एक आहारी सदा व्रतधारी, एक नारी सदा ब्रह्मचारी।

पेट हल्का रखो

शरीर को जब हल्का रखोगे, इसकी सफाई करोगे तो रोग से मुक्ति मिलेगी। घुटनों का दर्द, जोड़ों का दर्द, आव का बहना, गैस का बनना आदि परेशानी पेट की खराबी की वजह से होती हैं। तेज-तर्राट चीज खा लेने से क्रोध बढ़ता है, शरीर में गर्मी आ जाती है। क्रोध बढ़ता है तो पाप करवाता है। काम की भावना तेज हो जाती है। अहंकार आदमी को सताने लगता है। गलत खा लेने से पांच भूत- काम क्रोध लोभ मोह अहंकार बढ़ते हैं और शील क्षमा संतोष विरह विवेक का ह्रास (कम) होता है। इसलिए पेट को हल्का रखना चाहिए। पेट के अंदर कोई ऐसी चीज नहीं डालनी चाहिए जिससे रजोगुण, तमोगुण, सतोगुण की बढ़ोतरी हो।

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