लखनऊ। आज (14 मई) अक्षय तृतीया के पावन पर्व है और अपने पुण्य को अक्षय रखने के लिए लोग दान पुण्य स्नान कर रहे हैं। हालांकि कोरोना महामारी के इस दौर में पड़े इस पर्व की चमक इस बार कुछ पीर की नजर आ रही है। लेकिन गंगा घाटों पर स्नान करने वालों की हल्की फुल्की भीड़ देखने को मिल रही है और लोग पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं। अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर गंगा स्नान के साथ पुण्य कमाने के लिए लोग दान भी करते हैं, जो अति महत्वपूर्ण माना जाता है। वैशाख मास शुक्लपक्ष की तृतीया को मनाए जाने वाला अक्षय तृतीया परलोक में बहुश्रुत और बहुमान्य है। विष्णु धर्मसूत्र, मत्स्य पुराण, नारद पुराण तथा भविष्य पुराण आदि पुराणों में इसका विस्तृत उल्लेख मिलता है तथा इस व्रत की कई कथाएं भी हैं।

यह भी पढ़ें: Corona को मात देने के बाद हॉस्पिटल से डिस्‍चार्ज हुई मृणालनी सिंह, कही ये बात

सनातनधर्म को मानने वाले लोग अक्षय तृतीया को बड़े उत्साह से मनाते हैं। अक्षय तृतीया को दिए गए दान और स्नान, जप, हवन आदि कर्मों का शुभ और अनंत फल मिलता है। भविष्य पुराण के अनुसार सभी कर्मों का फल अक्षय हो जाता है, इसीलिए इसका नाम अक्षय पड़ा है। यदि यह तृतीया कृतिका नक्षत्र से युक्त हो तो विशेष फलदायिनी होती है। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है। क्योंकि कृतयुग (सतयुग) के कल्पभेद से त्रेतायुग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। इसमें जल से भरे कलश, पंखे, चरणपादुका (खड़ाऊं), जूता, छाता, गाय, भूमि, स्वर्णपात्र आदि का दान पुण्य कार्य माना गया है।https://gknewslive.com

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *