Politics: विपक्षी पार्टियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जाहिर की। विपक्षी नेताओं ने लोकसभा में नेता विपक्ष को बोलने से रोके जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में उप-नेता गौरव गोगोई ने बताया कि इंडिया गठबंधन के कई सांसद, जिनमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, केरल कांग्रेस, राजद, आईयूएमएल, आरएलपी और एमडीएमके शामिल थे, लोकसभा अध्यक्ष से मिले और अपनी शिकायत दर्ज कराई।

लोकसभा अध्यक्ष को सौंपा पत्र:-
गौरव गोगोई ने कहा, “हमने लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र सौंपा, जिस पर कई विपक्षी दलों के नेताओं के हस्ताक्षर थे। इस पत्र में हमने सत्ताधारी दल पर नियमों और संसदीय परंपराओं के उल्लंघन का आरोप लगाया।” उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ने नियम 349 का हवाला दिया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि यह नियम किस संदर्भ में लागू किया गया है। अब इस बयान का राजनीतिकरण किया जा रहा है।

राहुल गांधी को नहीं दिया गया बोलने का मौका:-
बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नेता विपक्ष राहुल गांधी को संसद में मर्यादित आचरण बनाए रखने और नियमों का पालन करने की नसीहत दी थी। इसके तुरंत बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई, जिससे राहुल गांधी को अपनी बात रखने का अवसर ही नहीं मिला। बाद में राहुल गांधी ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है और सरकार अपनी मनमानी कर रही है।

डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति पर भी उठे सवाल:-
गौरव गोगोई ने कहा कि जब नेता विपक्ष जवाब देने के लिए खड़े हुए, तब सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई, जिसे पूरे देश ने देखा। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद में विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जा रहा है, और लोकसभा अध्यक्ष की टिप्पणी का भाजपा की आईटी सेल राजनीतिकरण कर रही है। विपक्षी दलों ने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात के दौरान डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति न होने का मुद्दा भी उठाया। संविधान के अनुच्छेद 93 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 2019 से यह पद खाली पड़ा है, जो संसदीय परंपराओं के खिलाफ है। विपक्ष ने कहा कि सदन की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति जरूरी है।

बिना सूचना के पीएम मोदी के संबोधन पर भी आपत्ति:-
विपक्षी दलों ने बीते हफ्ते बिना किसी पूर्व सूचना के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में दिए गए भाषण पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने इसे संसदीय नियमों का मजाक बताया और कहा कि सरकार लोकतांत्रिक परंपराओं को दरकिनार कर रही है।

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