Chaitra Amavasya: सनातन धर्म में चैत्र अमावस्या का विशेष धार्मिक महत्व है। इस पावन अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर आस्था की डुबकी लगाते हैं। स्नान के बाद भगवान शिव और मां गंगा की पूजा की जाती है। इस बार चैत्र अमावस्या पर शनिदेव राशि परिवर्तन करेंगे और सूर्य ग्रहण भी होगा।

चैत्र अमावस्या तिथि और शुभ समय

आरंभ: 28 मार्च, शुक्रवार, रात 7:55 बजे

समाप्ति: 29 मार्च, शाम 4:27 बजे
सनातन धर्म में उदयातिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए चैत्र अमावस्या 29 मार्च को मनाई जाएगी।

शुभ योग और पूजा का महत्व
इस बार ब्रह्म योग, इंद्र योग और दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। इन शुभ योगों में गंगा स्नान और भगवान शिव की पूजा करने से पुण्यफल प्राप्त होता है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, यह दिन पितृ दोष निवारण के लिए भी बहुत शुभ माना गया है।

चैत्र अमावस्या की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के योद्धा कर्ण की मृत्यु के बाद जब उनकी आत्मा स्वर्ग में पहुंची तो उन्हें भोजन के बजाय सोने और जवाहरात दिए गए। जब कर्ण ने इसका कारण पूछा तो इंद्र ने बताया कि कर्ण ने जीवन में कभी अपने पूर्वजों के लिए अन्न दान नहीं किया था। कर्ण के अनुरोध पर इंद्र ने उन्हें 16 दिनों के लिए पृथ्वी पर लौटने की अनुमति दी ताकि वह अपने पूर्वजों को भोजन अर्पित कर सकें। इस अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है।

धार्मिक मान्यता
मान्यता है कि चैत्र अमावस्या पर गंगा स्नान, दान-पुण्य, जप और तप करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है। यह दिन नकारात्मकता को दूर करने, पापों से मुक्ति पाने और सौभाग्य में वृद्धि के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना गया है।

डिस्क्लेमर: यह लेख लोक मान्यताओं और धार्मिक कथाओं पर आधारित है। इन तथ्यों की सटीकता की जिम्मेदारी GK NEWS LIVE नहीं लेता है।

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