लखनऊ। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध जिम कार्बेट पार्क की स्थापना 1936 में हुई थी। कॉर्बेट नेशनल पार्क आज 85 साल का हो गया है। एशिया के इस पहले नेशनल पार्क में समय के साथ बहुत बदलाव हुए। 8 अगस्त 1936 को 300 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्रफल में स्थापित हुआ कॉर्बेट नेशनल पार्क अब 1288 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्रफल में है। इसको अब हम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के नाम से भी जानते हैं। देश मे 1 अप्रैल 1973 को प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया, जिसके लिए कॉर्बेट को भी चुना गया।

कॉर्बेट के निदेशक राहुल कहते हैं कि वनों, वन्यजीवों की सुरक्षा के लिये परंपरागत तौर तरीकों के साथ ही आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। जिससे कि यहां वन और वन्यजीव सुरक्षित रह सकें। कॉर्बेट में पर्यटकों का भी खास ख्याल रखा जा रहा है। जिससे पर्यटन गतिविधियां बनी रहें और स्थानीय स्तर पर इससे रोजगार जनरेट हो सके।

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कॉर्बेट में कभी पर्यटकों को आने जाने के लिए गढ़वाल यूज़र्स की बस का इस्तेमाल होता था। समय के साथ यह बस बंद कर दी गईं। बाद में पर्यटको के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने अपनी बस लगाई। समय बदलने के साथ ही अब यहां का पर्यटन रजिस्टर्ड जिप्सियों से होने लगा है। पर्यटन कारोबारी मदन जोशी की यदि माने तो पर्यटन गतिविधयां शुरू होने से यहां के स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार हुआ है। इस सुधार को और अच्छा करने के लिए कॉर्बेट प्रशासन को कुछ नई पहल करनी चाहिए। कॉर्बेट में अभी 357 जिप्सियां रजिस्टर्ड हैं। जिनसे स्थानीय लोगो को रोजगार मिल रहा है। जो पर्यटको को घुमाने के साथ ही कॉर्बेट में अनुशासन का भी ध्यान रखते हैं। जो कॉर्बेट को स्वच्छ रखने में मदद के साथ ही उनकी सुरक्षा की दृष्टि से भी अच्छा कदम है।https://gknewslive.com

 

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