नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच दिल्ली एम्स में 5 हजार नर्सिंग कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी है। सोमवार सुबह नर्सिंग कर्मचारियों ने अपना काम छोड़कर परिसर में ही प्रदर्शन किया, दोपहर बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी। नर्सिंग यूनियन का आरोप है कि एम्स प्रबंधन और सरकार उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं। ओपीडी और आपातकालीन विभाग पर अभी हड़ताल का ज्यादा असर नहीं पड़ा है, लेकिन भर्ती मरीजों की परेशानी को देखे हुए शाम को एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने यूनियन तक वीडियो संदेश पहुंचा। डॉ. गुलेरिया का कहना है कि प्रबंधन और सरकार ने नर्सिंग यूनियन की सभी मांगों को स्वीकार लिया है लेकिन एक मांग पर अभी तक सहमति नहीं है। कर्मचारियों ने वेतन बढ़ाने संबंधी मांग में छठवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर जोर दिया है जोकि फिलहाल संभव नहीं है। इस दिशा में प्रबंधन की ओर से काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महामारी के बीच जहां हर कोई एक जंग लड़ रहा है, ऐसे में कर्मचारियों की हड़ताल से न सिर्फ एम्स की छवि धूमिल होगी, बल्कि मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
वहीं, एम्स नर्सिंग यूनियन के अध्यक्ष हरीश कुमार का कहना है कि लंबे समय से प्रबंधन के साथ मांगों पर चर्चा चल रही है। एक महीने पहले ही यूनियन ने प्रबंधन को समय देते हुए कहा था कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो कर्मचारियों के पास काम छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। हरीश का कहना है कि नर्सिंग यूनियन यह कतई नहीं चाहती कि मरीजों के उपचार में किसी प्रकार की बाधा आए लेकिन प्रबंधन को यह भी सोचना चाहिए कि कर्मचारियों की मांग पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो कोरोना संकट में वह रात दिन कैसे अपना बेहतर योगदान कर सकेंगे। वहीं एम्स प्रशासन ने देर शाम बयान जारी कर कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के तहत एम्स में किसी को भी किसी भी वजह से काम पूरी तरह बंद करने का अधिकार नहीं है।
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ठेके पर मंगाए नर्सिंग कर्मचारी
दिल्ली एम्स में हड़ताल शुरू होते ही मरीजों को चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए अस्थायी तौर पर नर्सिंग कर्मचारी तैनात किए गए हैं। यह कहना है नर्सिंग यूनियन के अध्यक्ष हरीश कुमार का। उन्होंने बताया कि एम्स के नर्सिंग कर्मचारी लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर कभी निदेशक तो कभी स्वास्थ्य मंत्री से अपील करते आ रहे हैं। कुछ समय पहले स्वास्थ्य मंत्री के साथ हुई बैठक में एम्स के निदेशक भी मौजूद थे। उस वक्त सभी मांगों को स्वीकार कर लिया गया था, लेकिन अब तक उन पर अमल नहीं किया जा सका। अब नर्सिंग यूनियन ने प्रदर्शन शुरू किया तो एम्स प्रबंधन ने बाहर से ठेके पर कर्मचारियों को बुलाया है। एम्स प्रबंधन का यह व्यवहार किसी भी हालत में स्वीकार करने योग्य नहीं है। उधर यूनियन के इन आरोपों पर एम्स प्रबंधन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है।