जिभ्या और निभ्या के स्वाद से बचोगे तो लुटने से बचोगे नहीं तो तनिक सी असावधानी, चंचलता और सब कमाई ख़त्म
धर्म-कर्म : सब जीवों के सच्चे हितैषी, रूहानी दौलत लुटने से बचाने के लिए समय रहते सबको सावधान करने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु,…